प्रिय कृषक भाईयों,

       वर्ष 1959 में अपनी स्थापना के बाद से विगत 64 वर्षों में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में, विशेषकर लघु एवं सीमांत कृषकों, युवाओं के लिए रोजगार तथा महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए दीर्घकालीन ऋण सुविधा उपलब्ध कराकर उनके आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान में सार्थक भूमिका का निर्वहन किया है।

       कृषि एवं ग्रामीण विकास क्षेत्र में पूंजी निर्माण, कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने की नितांत आवश्यकता है, जो कृषि में दीर्घकालीन ऋण के माध्यम से ही संभव है। यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो पाते हैं कि कृषि ऋण में दीर्घकालीन ऋण का हिस्सा भारत में 40.35% है, जबकि प्रदेश में 25% से कम है जो कि वर्ष 2007-08 में 34% था।

       "आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश" के तहत राज्य को आत्मनिर्भर बनाने एवं कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के विकास में बैंक की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में दीर्घकालीन ऋण के माध्यम से ग्रामीण अवस्थापना सुविधाओं को सुदृढ़ एवं कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी के प्रयोग की आवश्यकता होगी। बदलते परिदृश्य में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक की भूमिका को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है जिसमें दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराने के साथ-साथ किसानों के साथ संवाद करने, कृषि विविधीकरण के बारे में जागरूक करने, उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु मार्गदर्शन के साथ प्रदेश एवं केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ प्राप्त कराने में सहायक बनना भी शामिल है।

      कृषकों की सेवा हेतु सदैव तत्पर आप सभी का बैंक।

प्रबन्ध निदेशक